
इस दिन से शुरू होगी आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि, जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है. आषाढ़ मास में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं. गुप्त नवरात्रि में मुख्य रूप से तांत्रिक सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए देवी मां की आराधना की जाती है. आइये जानें घटस्थापना विधि एवं शुभ मुहूर्त: इस दिन से शुरू होगी आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि, जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि
दुर्गा मां
हिंदू धर्म में कुल 4 नवरात्रि होती है. चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा माघ और आषाढ़ मास में भी नवरात्रि मनाई जाती हैं. माघ और आषाढ़ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते है. गुप्त नवरात्रि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को शुरू होती है. इस साल यह तिथि 11 जुलाई 2021 को पड़ रही है. हालांकि इस नवरात्रि में तांत्रिक और सात्विक दोनों शक्तियों की पूजा की जाती है. परन्तु तांत्रिक सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए भक्त इस गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना विधि-विधान से करते हैं. इस लिए इस नवरात्रि को तंत्र-मंत्र को सिद्ध करने वाली नवरात्रि माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक महाविद्याओं को भी सिद्ध करने के लिए मां दुर्गा की पूजा की जाती है.
चतुर्मास के दौरान नहीं होता है कोई शुभ कार्य, जानिए महत्व व नियम
गुप्त नवरात्रि में दुर्गा के 10 देवियों की होती है पूजा
हिंदू धर्म के अनुसार चैत्र और शारदीय नवरात्रि में दुर्गा मां के 9 स्वरूपों की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है जबकि गुप्त नवराति में दुर्गा माता के 10 स्वरूपों की पूजा होती है. गुप्त नवरात्रि में जिन 10 देवियों की पूजा अर्चना की जाती है, वे निम्न हैं. मां काली, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी.
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त
आषाढ़ घटस्थापना: 11 जुलाई 2021 रविवार को
घटस्थापना मुहूर्त सुबह 05:31 से सुबह 07:47
अवधि 02 घंटे 16 मिनट
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त सुबह 11:59 से दोपहर 12:54
प्रतिपदा तिथि शुरु जुलाई 10, 2021 को सुबह 06:46 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्ति जुलाई 11, 2021 को सुबह 07:47 बजे से
नवरात्रि शुरू होने के दिन शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करके पूजा शुरू की जाती है. मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र रखकर इनकी पूजा की जाती है. इन्हें सिंदूर, केसर, कपूर, जौ, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी आदि चीजें अर्पित करें. अंतिम दिन हवन आदि करके पूजासमाप्त करे
और पढ़े
श्री गणेश स्थापना: विघ्नहर्ता का आगमन
ताप्ती जन्मोत्सव २०२३ – माँ ताप्ती का महापर्व और आनन्दोसत्व मुलताई नगरी में – लाइव अपडेट
माँ ताप्ती माहात्म्य पुराण कथा – पं.सौरभ दत्तात्रेय जोशी जी महाराज – LIVE Stream BY- Shri Bhagwat Bhakti Media