
हिन्दू ग्रंथों में कार्तिक मास का विशेष महत्व बताया गया है। कार्तिक के महीने में ताप्ती स्नान और दान पुण्य करने का कई करोड़ो गुना फल मिलता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु को कार्तिक का माह बहुत पसंद है। इस की शुरुआत शरद पूर्णिमा से होती है, जो लक्ष्मी का सबसे प्रिय दिन है। इसलिए इस महीने में लक्ष्मी पूजन करने का विधान है।
कार्तिक मास में तापी स्नान का अत्यधिक महत्त्व हैं | तापी स्नान और दर्शन से भक्तो के सरे कष्ट मिट जाते है , मनोकामनाएँ पूरी होती है और पुण्य प्राप्ति होती है |
कार्तिक मास में सत्यनारायण पूजा का बहुत महत्त्व है | माँ ताप्ती मंदिर मुलताई में बड़ी तादाद में भक्त सत्यनारायण पूजन कर पुण्य प्राप्त करते है
आइए जानते हैं कि कार्तिक के महीने में किन नियमों का पालन करना चाहिए:
दीपदान -धर्म शास्त्रों के अनुसार कार्तिक के महीने में दीपदान का विशेष महत्व है। इसलिए नदी, तालाब में दीपदान करना चाहिए।
तुलसी पूजा -कार्तिक के महीने में तुलसी का पूजन करना चाहिए। पूरे महीने तुलसी पर दीप जलाना चाहिए। इसके साथ ही तुलसी विवाह पर तुलसी की विशेष पूजा अर्चना करनी चाहिए।
भूमि पर सोना: ऐसा भी कहा जाता है कि कार्तिक के महीने में जमीन पर श्यन करना चाहिए। स्वास्थ्य के लिहाज से भी यह अच्छा माना जाता है।
कार्तिक के महने में तेल लगाने की भी मनाही होती है। ऐसा कहा जाता है कि दिवाली से पहले नरक चतुदर्शी पर तेल लगाना चाहिए।
ऐसी भी मान्यता है कि कार्तिक महीने में दलहन यानी उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
इस महीने में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी का पीपल के वृक्ष पर निवास रहता है। पूर्णिमा के दिन जो भी जातक मीठे जल में दूध मिलाकर पीपल के पेड़ पर चढ़ाता है उस पर मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
कार्तिक मास में गरीबों को चावल दान करने से चन्द्र ग्रह शुभ फल देता है।
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