
30 अप्रैल को शनिचरी अमावस्या: शनि की ढैया और साढ़ेसाती से मुक्ति के लिए ताप्ती में हजारों लोग लगाएंगे डुबकी, पूजा से मिलेगा सहस्र अश्वमेघ का पूण्य
सूर्यपुत्री मां ताप्ती में शनिवार को स्नान करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आएंगे। दरअसल शनिवार को पड़ने वाली चेत्र की अमावस्या व खंडग्रास सूर्य ग्रहण पर एक अद्भुत संयोग बन रहा है।
शनिदेव की बहन होने के कारण यदि इस दिन ताप्ती तट पर स्नान, पूजन, पितृ तर्पण, शनि पूजन किया जाता है तो सभी प्रकार के शनि दोषों से मुक्ति मिलती है। वहीं शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैया से भी मुक्ति मिल जाती है।
मंदिर के पुजारी सौरभ जोशी ने बताया कि इस दिन हनुमंत दर्शन व तपतेश्वर पूजन सहित शिव पूजन करने से विशेष फल मिलता है। जोशी ने बताया कि यह एक अद्भुत संयोग है कि अमावस्या शनिवार दिन पड़ रही है और इस दिन सूर्य ग्रहण भी है।
बन रहा अद्भूत संयोग
इस दिन सूर्य कुंभ राशि में भी प्रवेश कर रहे हैं। ऐसे में अद्भुत संयोग बन रहा है। ताप्ती में स्नान मात्र से ही शनिदेव खुश हो जाते हैं और समस्त प्रकार के रोग दोष और परेशानियों से मुक्ति मिलती है। ताप्ती में स्नान के बाद दान करने से सहस्र अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य लाभ मिलता है। क्योंकि अमावस्या शनिवार दिन पड़ रही है, इसलिए इस अमावस्या को शनिचरी अमावस्या कहा जाता है।
स्कंद पुराण में है मां ताप्ती की इस महिमा का वर्णन
स्कंद पुराण पुराण के अनुसार मां ताप्ती को सूर्य पुत्री माना गया है और उनकी बहन यमुना और भाई शनिदेव है। वहीं यमदेव भी मां ताप्ती के भाई है।
ऐसे में यदि शनि के प्रकोप व यम के त्रास से किसी को मुक्ति चाहिए तो वह ताप्ती स्नान करता है। अमावस्या और सूर्य ग्रहण के दिन शनिवार पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। ऐसे में ताप्ती स्नान कर पूजन करने का अपना विशेष महत्व होगा।
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