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हिंदु पंचांग के अनुसार पांचवां महीना श्रावण का होता है।अब भगवान शिव, संसार संभालेंगे। सावन के महीने में भगवान शिव और विष्णु की आराधना बहुत फलदाई मानी जाती है। पूरे श्रावण मास में सोमवार 06, 13, 20,27 जुलाई और 03 अगस्त को है।
सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवन से सभी तरह की परेशानियों से छुटकारा मिलता है। इस महीने लोग अपनी पसंद की चीज का एक महीने के लिए त्याग करते हैं। सावन के महीने के आखिर में रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है।
🌼श्रावण मास में शिव पूजन करते समय चिन्तन करें कि भगवान् शिव अपने हाथ में त्रिशूल रखते हैं। इसका क्या सन्देश है ? तीन विकारों को नियंत्रित करता है ये त्रिशूल, काम-क्रोध और लोभ।
” तात तीन खल अति प्रवल काम क्रोध और लोभ “
🌼 काम-क्रोध- लोभ को पूरी तरह खतम तो कदापि नहीं किया जा सकता पर नियंत्रित जरूर किया जा सकता है। इनको साधा जा सकता है। क्रोध तो शिवजी को भी आता है लेकिन क्षण विशेष के लिए। कामदेव को भस्म करते समय क्रोधित हुए पर जब कामदेव की पत्नि रति आई तो उसे देखकर द्रवित हो गए।
🌼शक्ति का सही दिशा में प्रयोग ही पुन्य है और गलत दिशा में प्रयोग ही पाप है। शिवजी ने अपनी ऊर्जा को नियंत्रित कर रखा है। ऊर्जा का नियंत्रण ही साधना है और यही योग है।
सावन सोमवार व्रत का महत्व: श्रावण माह भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है। स्कंद पुराण की एक कथा के अनुसार सनत कुमार भगवान शिव से पूछते हैं कि आपको सावन माह क्यों प्रिय है। तब भोलेनाथ बताते हैं कि देवी सती ने हर जन्म में भगवान शिव को पति रूप में पाने का प्रण लिया था पिता के खिलाफ होकर उन्होंने शिव से विवाह किया लेकिन अपने पिता द्वारा शिव को अपमानित करने पर उसने शरीर त्याग दिया। उसके पश्चात माता सती ने हिमालय व नैना पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया। इस जन्म में भी शिव से विवाह हेतु इन्होंने श्रावण माह में निराहार रहते हुए कठोर व्रत से भगवान शिवशंकर को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया। इसलिए श्रावण माह से ही भगवान शिव की कृपा के लिए सोलह सोमवार के उपवास आरंभ किए जाते हैं।
सावन सोमवार व्रत के लाभ: भगवान शिव की पूजा के लिए और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना से सावन सोमवार व्रत रखे जाते हैं। अगर विवाह में अड़चनें आ रही हों तो संकल्प लेकर सावन के सोमवार का व्रत किया जाना चाहिए। आयु या स्वास्थ्य बाधा हो तब भी सावन के सोमवार का व्रत श्रेष्ठ परिणाम देता है।
16 सोमवार व्रत का संकल्प सावन में लेना सबसे उत्तम माना गया है। सावन महीने में मुख्य रूप से शिव लिंग की पूजा होती है और उस पर जल तथा बेल पत्र अर्पित किया जाता है।
सावन सोमवार पूजा में इन बातों का रखें ध्यान:शिवजी की पूजा में केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे भगवान शिव नाराज हो जाते हैं। तुलसी का भी प्रयोग भगवान शिवजी की पूजा में नहीं किया जाता है।
शिवलिंग पर कभी भी नारियल का पानी भी नहीं चढ़ाना चाहिए। भगवान शिवजी को हमेशा कांस्य और पीतल के बर्तन से जल चढ़ाना चाहिए।
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