
जगत जननी पतित पावनी आदि गंगा सूर्यपुत्री मां तापी के उद्गम स्थल मूलतापी (मुल्ताई) से जल रूपी प्रवाह का प्रारंभ होता है और मां ताप्ती का कल-कल बहता जब हुआ यह जल सूरत के दुम्मस नामक स्थल पर समुद्र में समाहित हो जाता है…..
मुलतापी से निकला हुआ यह प्रवाह कुछ ही दूर जाकर विशाल चंदौरा डैम के रूप में दिखाई देता है वहां से आगे बढ़ने के पश्चात पारस डोह जलाशय नामक एक बड़ी जल संरचना का निर्माण भी अभी हुआ है आगे बढ़ते बढ़ते कई सारे जल बैराज रस्ते में दिखाई पड़ते हैं ,और मा तापी के दोनों तटों पर लोगों का जीवन खुशाल बनाते हुए मा तापी आगे बढ़ते चली जाती है। उद्गम स्थल पर तप्तेश्वर महादेव के प्रारंभ से कई सारे महान धार्मिक स्थल तापी तट पर आज भी दृश्य मान है ।
सांड्या में शांडिल्य ऋषि ,श्रवण तीर्थ श्रवण के आगमन का प्रतीक है पारस डोह जलाशय चमत्कारिक गहराई के लिए प्रसिद्ध है 12 धारी की प्राकृतिक 12 धारे अपने आप में एक उत्तम जलप्रपात का निर्माण करती है आगे बढ़ते बढ़ते कई साले ऋषि मुनि तपस्वी योगीयो कि तप स्थली अलौकिक दृश्य और 108 शिवलिंग तट के साथ में अलग-अलग स्थान पर शिव महिमा का विशेष प्रभाव ताप्ती तट पर देखा जाता है । ढाई हजार वर्ष पुराना चांगदेव महाराज का स्थल सोपान मुक्ताबाई का संस्थान पूर्णा तापी संगम पर स्थापित प्राचीन शिवलिंग, रामेश्वरम शिवलिंग जहां राम और लक्ष्मण के द्वारा स्थापित अति प्राचीन शिवलिंग तापी तट पर है नीम गवान संस्थान का दादा दरबार जहां तापी मैया की आरती से शुरुआत होती है आगे बढ़ते बढ़ते कई सारे धार्मिक महत्व के ऐतिहासिक स्थल को पार करते हुए तापी तट का सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ श्री क्षेत्र प्रकशा (जहां केदारेश्वर महादेव के साथ में आसपास लगभग 108 शिवलिंग के प्रमाण दिखाई देते हैं और ऐसी मान्यता है कि इस स्थल पर दर्शन करने से काशी के विश्वनाथ के दर्शन का पुण्य लाभ अर्जित होता है तथा यहां पर 12 वर्षों में एक बार कुंभ मेला भी भरता है) आगे आगे बढ़ते बढ़ते मां तापी का विशाल वैभव विशाल जल राशि ऐसे अनुभूत होती है जैसे किसी समुद्र के समीप हम लोग विचरण कर रहे हैं आगे बढ़ते बढ़ते अनेकानेक शिवलिंग के दर्शन होते हुए तापी तट से आगे बढ़ते हुए सूरत शहर में कर्म नाथ महादेव ,अंबिका निकेतन संस्थान जो ताप्ती तट पर स्थापित है उनका भी दर्शन लाभ प्राप्त होता है और माता का विस्तृत वैभव देखते-देखते मांझी ग्राम जहां तापी मंदिर का निर्माण हुआ है वहा यात्रा पहुंचती है ।
आगे बढ़ते हुए गलतेश्वर महादेव के दर्शन करके अंतिम स्थान संगमेश्वर महादेव पर यात्रा का विश्राम होता है और डुमस ग्राम में समुद्र संगम में जल कलश का विसर्जन होता है यह दृश्य बड़ा अलौकिक है 1 एक पहर से लगाकर पूर्ण यात्रा तक होने वाले अनुभव का शब्दों में उल्लेख करना संभव नहीं है उन दृश्यों को देखने वाला व्यक्ति अत्यंत प्रसन्न होता है…..
आइए फिर एक अवसर आया है 15 जनवरी 2020 फिर से स्वर्णिम अलौकिक अद्भुत अकल्पनीय माता के विराट विशाल स्वरूप का दर्शन करने का सौभाग्य मां ताप्ती की नगरी मुलताई से सभी भक्तों को मिलने जा रहा है आप सब इस यात्रा में सम्मिलित होकर माता के अलौकिक दृश्यों का अनुसरण करें
यही आशा यही विश्वास
सभी को जय ताप्ती मैया
आपका अपना सौरभ जोशी
और पढ़े
बैतूल में आयोजित श्री माँ ताप्ती शिव महापुराण कथा में उमड़ी लाखो भक्तों की भीड़
ताप्ती परिक्रमा पद यात्रा – 2023
मुलताई कार्तिक #मेला मां #ताप्ती कथा