माँ ताप्ती माता का नया मंदिर और प्राचीन मंदिर मुलताई के लोगो की आस्था का केंद्र हैं |
माँ ताप्ती ही उत्पत्ति
सृष्ट्री निर्माण के समय ब्रम्हा देव द्वारा सूर्य की स्तुति की गई और प्रकाश फैलाने सूर्य देव प्रकाशवान हुए तब सूर्य देव के ताप से निकली स्वेद (पसीने ) बूंदो से माँ तापी { सृष्ट्री की प्रथम नदी} सूर्य पुत्री उत्पन्न हुई जिनके उद्भव को इक्कीस कल्प हुए { एक कल्प की गणना में चार करोड़ बत्तीस लाख वर्ष होते है } जिनका उद्गम स्थल मुलतापी नाम से जाना जाता है| सदा नीरा, आदिगंगा, तापनाशिनी, शनियम भगिनी, संवरणप्रिया, कुरुजननी माँ तापी का प्रवाह क्षेत्र डुमस संगम सूरत गुजरात में समुद्र तक मिल जाता है |

मन्दिर की स्थापना और व्यवस्था
समय के साथ मुलतापी का नाम अपभ्रंशित होकर मुलताई हो गया |इस क्षेत्र में भोसले वंश के राजाओ का राज्य था, उन्होंने तापी तालाब का निर्माण किया और बहुतेरे संख्या में मंदिरो का निर्माण किया |
जिस स्थान पर नवीन मंदिर स्थापित है उस स्थल पर पूर्व काल से तापी पूजन स्थल के रूप में चबूतरे पर तीर्थ पुरोहित जोशी परिवार द्वारा उस स्थल पर तापी मैया का पूजन पुरातन समय से किया जा रहा है| उस स्थल पर नवीन माँ तापी की प्रतिमा की स्थापना तत्कालीन मालगुजार भार्गव परिवार द्वारा { माँ तापी से मनोकामना करने पर मनौती पूर्ण होने पर जयपुर से लेकर आई प्रतिमा } ताप्ती मंदिर की स्थापना सम्वत 1991{ सन 1938 ईस्वी} में स्व. श्री राय साहब चुन्नी लाल जी भार्गव एवं उनकी पत्नी श्रीमति ब्रजरानी देवी के कर कमलो से एवं प्राणप्रतिष्ठा पूजन स्व. श्री प्रहलाद राव ( भट्ट) जोशी और उनके पुत्र स्व. गोपालराव् जोशी से करवाई गई थी तभी से नियमित प्रतिदिन पूजन पर्व इत्यादि एवं व्यवस्थाओ का दायित्व का निर्वहन स्व. श्री.गोपालराव् राव जोशी के द्वारा किया गया उनके पश्चात् उनके पुत्र स्व.श्री शेषराव जोशी द्वारा किया जाने लगा | आगे इसी परंपरा का निर्वहन स्व. शेषराव जोशी के पुत्र स्व. दत्तात्रय जोशी द्वारा पूर्ण रूपेण मंदिर सञ्चालन एवं पूजन कार्य किया गया |
उन्होंने सं 1984-85 में भार्गव परिवार की सहमति से मंदिर के जीर्णोद्धार हेतु तापी भक्तो एवं जनता के सहयोग से “तापी मंदिर जीर्णोद्धार समिति” के द्वारा मंदिर का नव निर्माण प्रारम्भ करवाया उसके साथ उनके पुत्र सौरभ जोशी {पांचवी पीढ़ी के रूप में विगत ९२ वर्षो से मैं और मेरे पूर्वज } पूजन कार्य एवं व्यवस्थापन करने लगे |सभी मुख्यपूजन ,महाआरती,वर्ष की चार नवरात्रीपूजन,सप्तशतीहवन,सप्तमीचालीसापाठ , ताप्ती पुराण वाचन , कार्तिक मास पूजन, कार्तिक पूर्णिमा उत्सव पूजन इत्यादि सभी पूजन सौरभ जोशी द्वारा परम्परागत प्रमुख पुजारी के रूप में पुरातन परंपरा के अनुसार निर्विघ्न निर्विवाद संम्पन्न किये जाते रहे है |
समय के साथ बढ़ती श्रद्धालु संख्या के हिसाब से मंदिर व्यवस्था सुधार के उद्देश्य से वैतनिक पुजारियों की नियुक्ति हुई जिसमे अशोक राव चिंचोले जी (संन 2007) से एवं सौरभ धर्माधिकारी(संन 2015) एवं शुभम(पंकज) तिवारी (संन 2016) की नियक्ति की गई |
व्यवस्था वृहद करने और भव्य रूप देने हेतु श्रद्धालुओ को सुविधाओं में वृद्धि के उद्देश्य से {भक्त निवास ,अन्न क्षेत्र ,सर्वांगिक विकास हेतु } सौरभ जोशी जी द्वारा “ ताप्ती मंदिर लोक न्यास ” निर्माण हेतु रजिस्टार लोक नयास के सम्मुख आवदेन दिया गया एवं प्रस्तावित न्यास विलेख बनाया गया था | रजिस्टार के द्वारा न्यास का निर्माण किया गया जिसमे पदेन तहसीलदार अध्यक्ष तथा पदेन नगर पालिका मुख्य अधिकारी(c.m.o.) सचिव के रूप में मनोनीत हुए एवं अन्य सदस्य के रूप सौरभ जोशी, संदीप जोशी, विजय भार्गव ,रामनाथ भार्गव , संजय राजू पाटणकर, गोलू खंडेलवाल, संजय पवार ,राजेंद्र भार्गव सहित अन्य सदस्य (आस्थाई) मनोनीत हुए |
ट्रस्ट द्वारा तापी मंदिर में नवीन विकास कार्य करते आ रहा है और सभी व्यवस्थाएं व्यवस्थित हो रही है माँ तापी की कृपा सभी पर बनीं रहे एवं माँ का स्वरुप और लोगो को दर्शनीय हो |
****जय माँ तापी****जय माँ तापी****जय माँ तापी****जय माँ तापी****